वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक बाबू भरद्वाज का 30 अप्रैल 2016 को कोजीकोड में ह्रदयघात के कारण निधन हो गया. वे 68 वर्ष के थे.
वे केरल में प्रिंट एवं टेलीविज़न मीडिया में प्रमुख रूप से कार्यरत रहे. उनके द्वारा लिखित उपन्यास कलपनगल्लकोरु गृह्पदम को वर्ष 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
उनके अन्य प्रसिद्ध लेखन में प्रवासियुड कुरीप्पुक्कल, शावाघोषयात्रा, पपेट थिएटर, प्रवासीयूड वज़ीयमबलंगल एवं अदृश्य नागरंगल शामिल हैं.
उन्होंने वर्ष 1980 में एक मलयालम फिल्म इनियुम मरीचिट्टीलथा निर्माण भी किया जिसे चिंथा रवि द्वारा निर्देशित किया गया.
भरद्वाज का जन्म 1948 को कोजीकोड स्थित चेमेंचारी में हुआ. उन्होंने पोयकावू हाई स्कूल, मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज एवं थ्रिशुर इंजीनियरिंग कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की.
वे केरल में प्रिंट एवं टेलीविज़न मीडिया में प्रमुख रूप से कार्यरत रहे. उनके द्वारा लिखित उपन्यास कलपनगल्लकोरु गृह्पदम को वर्ष 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
उनके अन्य प्रसिद्ध लेखन में प्रवासियुड कुरीप्पुक्कल, शावाघोषयात्रा, पपेट थिएटर, प्रवासीयूड वज़ीयमबलंगल एवं अदृश्य नागरंगल शामिल हैं.
उन्होंने वर्ष 1980 में एक मलयालम फिल्म इनियुम मरीचिट्टीलथा निर्माण भी किया जिसे चिंथा रवि द्वारा निर्देशित किया गया.
भरद्वाज का जन्म 1948 को कोजीकोड स्थित चेमेंचारी में हुआ. उन्होंने पोयकावू हाई स्कूल, मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज एवं थ्रिशुर इंजीनियरिंग कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की.
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